Hindi A (002)
Class X (2024-25)
निर्धारित समय: 3 hours अधिकतम अंक: 80
सामान्य निर्देशः
निम्नलिखित निर्देशों को बहुत सावधानी से पढ़िए और उनका सख्ती से अनुपालन कीजिए :
• इस प्रश्नपत्र में कुल 15 प्रश्न हैं। सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
• इस प्रश्नपत्र में कुल चार खंड हैं- क, ख, ग, घ ।
• खंड-क में कुल 2 प्रश्न हैं, जिनमें उपप्रश्नों की संख्या 10 है।
• खंड-ख में कुल 4 प्रश्न हैं, जिनमें उपप्रश्नों की संख्या 20 है। दिए गए निर्देशों का पालन करते
हुए 16 उपप्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है ।
• खंड-ग में कुल 5 प्रश्न हैं, जिनमें उपप्रश्नों की संख्या 20 है।
• खंड-घ में कुल 4 प्रश्न हैं, सभी प्रश्नों के साथ उनके विकल्प भी दिए गए हैं।
• प्रश्नों के उत्तर दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए लिखिए ।
खंड क- अपठित बोध
1. निम्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
गीता के इस उपदेश की लोग प्रायः चर्चा करते हैं कि कर्म करें, फल की इच्छा न करें। यह कहना तो सरल है पर पालन करना उतना सरल नहीं। कर्म के मार्ग पर आनन्दपूर्वक चलता हुआ उत्साही मनुष्य यदि अन्तिम फल तक न भी पहुँचे, तो भी उसकी दशा कर्म न करने वाले की अपेक्षा अधिकतर अवस्थाओं में अच्छी रहेगी, क्योंकि एक तो कर्म करते हुए उसका जो जीवन बीता वह संतोष या आनन्द में बीता, उसके उपरांत फल के प्राप्त न होने पर भी उसे यह पछतावा न रहा कि मैंने प्रयत्न नहीं किया। फल पहले से कोई बना-बनाया पदार्थ नहीं होता। अनुकूल प्रयत्न-कर्म के अनुसार, उसके एक-एक अंग की योजना होती है। किसी मनुष्य के घर का कोई प्राणी बीमार है। वह वैद्यों के यहाँ से जब तक औषधि ला-लाकर रोगी को देता जाता है तब तक उसके चित्त में जो संतोष रहता है, प्रत्येक नए उपचार के साथ जो आनन्द का उन्मेष होता रहता है-यह उसे कदापि न प्राप्त होता, यदि वह रोता हुआ बैठा रहता। प्रयत्न की अवस्था में उसके जीवन का जितना अंश संतोष, आशा और उत्साह में बीता, अप्रयत्न की दशा में उतना ही अंश केवल शोक और दुःख में कटता । इसके अतिरिक्त रोगी के न अच्छे होने की दशा में भी वह आत्म-ग्लानि के उस कठोर दुःख से बचा रहेगा जो उसे जीवन भर यह सोच-सोच कर होता कि मैंने पूरा प्रयत्न नहीं किया।
कर्म में आनन्द अनुभव करने वालों का नाम ही कर्मण्य है। धर्म और उदारता के उच्च कर्मों के विधान में ही एक ऐसा दिव्य आनन्द भरा रहता है कि कर्ता को वे कर्म ही फलस्वरूप लगते हैं। अत्याचार का दमन और शमन करते हुए कर्म करने से चित्त में जो तुष्टि होती है। वही लोकोपकारी कर्मवीर का सच्चा सुख है।
1. गद्यांश में गीता के किस उपदेश की ओर संकेत किया गया है?
(क) फल पहले से कोई बना-बनाया पदार्थ नहीं होता
(ख) कहना तो सरल है पर पालन करना उतना सरल नहीं
(ग) फल के बारे में सोचें
(घ) कर्म करें फल की चिंता नहीं करें
Ans. (घ) कर्म करें फल की चिंता नहीं करें
2. “कर्मण्य’ किसे कहा गया है?
(क) फल के चिंतन में आनन्द का अनुभव करने वालों को
(ख) काम करने में आनन्द का अनुभव करने वालों को
(ग) काम न करने वालों को
(घ) अधिक सोचने वालों को
Ans. (ख) काम करने में आनन्द का अनुभव करने वालों को
3. _________कर्म करते हुये चित्त में संतोष का अनुभव ही कर्मवीर का सुख माना गया है।
(क) अत्याचार का दमन और शमन करने की भावना से
(ख) आत्मग्लानि की भावना से
(ग) संतोष या आनन्द की भावना से
(घ) उपचार की भावना से
Ans. (क) अत्याचार का दमन और शमन करने की भावना से
4. कर्म करने वाले को फल न मिलने पर भी पछतावा क्यों नहीं होता?
Ans. कर्म करने वाले को फल न मिलने पर भी पछतावा इसलिए नहीं होता क्योंकि उसके मन में यह संतोष होता कि उसने संबन्धित कार्य के लिए प्रयास किया यदि इच्छा अनुसार फल नहीं मिला तो भी प्रयत्न न करने का पश्चाताप नहीं होता।
5. घर के बीमार सदस्य का उदाहरण क्यों दिया गया है?
Ans. सेवा के संतोष के लिए घर के बीमार सदस्य का उदाहरण इसलिए दिया गया है क्यों कि उस सदस्य की सेवा करते हुये जिस आशा, उम्मीद और संतोष की अनुभूति होती है वह अवर्णनीय है साथ ही उसके स्वास्थ्य लाभ की दशा में प्राप्त होने वाला सुख और आनंद अलग ही होता जबकि कर्म न करने की दशा में सिवाय पछतावे के कुछ नहीं मिलता।
2. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए ।
सत्संग से हमारा अभिप्राय उत्तम प्रकृति के व्यक्तियों की संगति से है। मानव मन में श्रेष्ठ एवं गर्हित भावनाएँ मिश्रित रूप से विद्यमान रहती हैं। कुछ व्यक्ति सहज सुलभ सद्गुणों की उपेक्षा करके कुमार्ग का अनुगमन करते हैं। उनकी संगति प्रत्येक के लिए भयंकर सिद्ध होती है। वे न केवल अपना ही विनाश करते हैं, अपितु अपने साथ रहने तथा वार्तालाप करने वालों के जीवन और चरित्र को भी पतन अथवा विनाश के गर्त की ओर उन्मुख करते हैं। अतः ऐसे व्यक्तियों की संगति से सदैव बचना चाहिए। विश्व में प्रायः ऐसे मनुष्य ही अधिक हैं जो उत्कृष्ट और निकृष्ट दोनों प्रकार की मनोवृत्तियों से युक्त होते हैं। उनका साथ यदि किसी के लिए लाभप्रद नहीं होता तो हानिकारक भी नहीं होता। इसके अतिरिक्त तृतीय प्रकार के मनुष्य वे हैं जो गर्हित भावनाओं का दमन करके केवल उत्कृष्ट गुणों का विकास करते हैं। ऐसे व्यक्ति निश्चय ही महान प्रतिभा सम्पन्न होते हैं। उनकी संगति प्रत्येक व्यक्ति में उत्कृष्ट गुणों का संचार करती है। उन्हीं की संगति को सत्संग के नाम से पुकारा जाता है।
1. सत्संग से लेखक का क्या अभिप्राय है?
(क) सहज सुलभ व्यक्तियों की संगति को
(ख) उत्तम प्रकृति के व्यक्तियों की संगति को
(ग) भावनाओं का दमन करने वाले की संगति को
(घ) उत्कृष्ट और निकृष्ट दोनों प्रकार के व्यक्तियों की संगति को
Ans. (ख) उत्तम प्रकृति के व्यक्तियों की संगति को
2. ‘सत्संग’ शब्द का संधि-विच्छेद करिए।
(क) सत् + संग
(ख) सद + संग
(ग) सच + संग
(घ) सत्य + संग
Ans. (ख) सद + संग
3. इस गद्यांश के अनुसार दो प्रकार की मनोवृत्तियाँ कौन सी हैं?
(क) लाभदायक और हानिकारक
(ख) उत्तम और निम्नतम
(ग) उत्कृष्ट और निकृष्ट
(घ) अच्छी और बुरी
Ans. (ग) उत्कृष्ट और निकृष्ट
4. कुमार्ग का अनुगमन करने वालों की संगति भयंकर क्यों सिद्ध होती है?
Ans. कुमार्ग का अनुगमन करने वाले न केवल अपना विनाश करते हैं, अपितु अपने साथ रहने तथा वार्तालाप करने वालों के जीवन और चरित्र को भी पतन अथवा विनाश के गर्त की ओर उन्मुख करते हैं।
5. ‘महान प्रतिभा सम्पन्न’ व्यक्ति किसे कह सकते हैं?
Ans. वे व्यक्ति जो गर्हित भावनाओं का दमन करके केवल उत्कृष्ट गुणों का विकास करते हैं, ‘महान प्रतिभा सम्पन्न व्यक्ति कहलाते हैं।
खंड ख – व्यावहारिक व्याकरण
3. निम्नलिखित वाक्यों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
i. वह गिरता पड़ता वहाँ पहुँच जाता। इस वाक्य में क्रिया-विशेषण पदबंध क्या है।
Ans. गिरता-पड़ता
ii. तताँरा एक नेक और मददगार युवक था। रेखांकित पदबंध का नाम लिखिए।
Ans. विशेषण पदबंध
iii. दूसरों की सहायता करने वाले आप महान हैं। सर्वनाम पदबंध छाँटिये ।
Ans. दूसरों की सहायता करने वाले आप
iv. मास्टर प्रीतम चंद का दुबला-पतला गठीला शरीर था। रेखांकित पदबंध का नाम लिखिए |
Ans. विशेषण पदबंध
v. बालक ने पुस्तक पढ़ी होगी। वाक्य में क्रिया पदबंध कौन सा है
Ans. पढ़ी होगी
4. नीचे लिखें वाक्यों में से किन्हीं चार वाक्यों का निर्देशानुसार रचना के आधार पर वाक्य रूपांतरण कीजिए-
i. अधिक पढ़ने पर अधिक लाभ होगा। (मिश्र वाक्य में)
Ans. जो अधिक पढ़ेगा, उसे अधिक लाभ होगा।
ii. अंगीठी सुलगाई उस पर चायदानी रखी। (संयुक्त वाक्य में)
Ans. अंगीठी सुलगाई और उस पर चायदानी रखी।
iii. कृपण को उदारता अधिक शोभती है। (मिश्र वाक्य में)
Ans. जो कृपण होता है उसे उदारता अधिक शोभती है।
iv. रात्रि के आठ बजते ही मैंने पढ़ना बंद कर दिया। (संयुक्त वाक्य में)
Ans. रात्रि के आठ बजे थे और मैंने पढ़ना बंद कर दिया।
v. काका को बंधनमुक्त करके मुँह से कपड़े निकाले गए। (संयुक्त वाक्य में)
Ans. काका को बंधनमुक्त किया गया और उनके मुँह से कपड़े निकाले गए।
5. निर्देशानुसार किन्हीं चार प्रश्नों का उत्तर दीजिए और उपयुक्त समास का नाम भी लिखिए।
i. यथार्थ (विग्रह कीजिए)
Ans. अर्थ के अनुसार / जैसा अर्थ हो – अव्ययीभाव समास
ii. शांतिप्रिय (विग्रह कीजिए)
Ans. शांति है प्रिय जिसे (कोई व्यक्ति विशेष) – बहुव्रीहि समास
iii. विद्या रूपी धन (समस्त पद लिखिए)
Ans. विद्याधन कर्मधारय समास
iv. चंद्र है शिखर पर जिसके अर्थात् शिव (समस्त पद लिखिए)
Ans. चंद्रशेखर – बहुव्रीहि समास
v. युद्ध में वीर (समस्त पद लिखिए)
Ans. युद्धवीर – तत्पुरुष समास
6. निम्नलिखित में से किन्हीं चार मुहावरों का वाक्य में प्रयोग इस प्रकार कीजिए कि उनका आशय स्पष्ट हो जाए
i. हाथ पाँव फूल जाना
Ans. हाथ पाँव फूल जाना: जब वह पहली बार भाषण देने के लिए मंच पर गया, तो उसके हाथ पाँ फूल गए ।
ii. प्राणांतक परिश्रम करना
Ans. प्राणांतक परिश्रम करना उसने परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए प्राणांतक परिश्रम किया।
iii. सिर पर तलवार लटकना
Ans. सिर पर तलवार लटकना जब महेश को पता चला कि उसकी नौकरी खतरे में है, तो उसे लगा जैसे उसके सिर पर तलवार लटक रही है।
iv. सपनों के महल बनाना
Ans. सपनों के महल बनाना सोहना तो बचपन से ही सपनों के महल बनाती रही है।
v. आग बबूला होना
Ans. आग बबूला होना – जब उसने देखा कि उसकी पत्नी ने उसे धोखा दिया है तो वह आग बबूला हो गया।
खंड ग. गद्य खंड (पाठ्यपुस्तक)
7. अनुच्छेद को ध्यानपूर्वक पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
कह दिया- ‘समय की पाबंदी पर एक निबंध लिखो, जो चार पन्नों से कम न हो। अब आप कापी सामने खोले, कलम हाथ में लिये, उसके नाम को रोइए। कौन नहीं जानता कि समय की पाबंदी बहुत अच्छी बात है। इससे आदमी के जीवन में संयम आ जाता है, दूसरों का उस पर स्नेह होने लगता है और उसके कारोबार में उन्नति होती है; लेकिन इस जरा-सी बात पर चार पन्ने कैसे लिखें ? जो बात एक वाक्य में कही जा सके, उसे चार पन्ने में लिखने की जरूरत? मैं तो इसे हिमाकत समझता हूँ। यह तो समय की किफायत नहीं, बल्कि उसका दुरूपयोग है कि व्यर्थ में किसी बात को ठूंस दिया। हम चाहते हैं, आदमी को जो कुछ कहना हो, चटपट कह दे और अपनी राह ले। मगर नहीं, आपको चार पन्ने रंगने पड़ेंगे, चाहे जैसे लिखिए। और पन्ने, भी पूरे फुलस्केप आकार के। यह छात्रों पर अत्याचार नहीं तो और क्या है? अनर्थ तो यह है कि कहा जाता है. संक्षेप में लिखो । समय की पाबंदी पर संक्षेप में एक निबंध लिखो, जो चार पन्नों से कम न हो। ठीक! संक्षेप में चार पन्ने हुए, नहीं शायद सौ-दो सौ पन्ने लिखवाते । तेज भी दौड़िये और धीरे-धीरे भी है उल्टी बात या नहीं? बालक भी इतनी-सी बात समझ सकता है, लेकिन इन अध्यापकों को इतनी तमीज भी नहीं। उस पर दावा है कि हम अध्यापक है।
(i) जो बात एक वाक्य में कही जा सके, उसे चार पन्नों में लिखने की जरूरत? इस कथन के माध्यम से किस तरफ इशारा किया जा रहा है।
क) अध्यापकों की सनक
ख) छोटे भाई पर आरोप
ग) समय की पाबंदी
घ) शिक्षा व्यवस्था की कमी
Ans. घ) शिक्षा व्यवस्था की कमी
(ii) छात्रों पर अत्याचार क्या है?
क) उन पर जबरदस्ती कोई काम थोपना
ख) समय की बर्बादी कराना
ग) उन्हें निबंध लिखने को कहना
घ) उन्हें कक्षा में फेल कर देना
Ans. क) उन पर जबरदस्ती कोई काम थोपना
(iii) समय की पाबंदी से क्या नहीं होता है?
क) उल्टी बात करना
ख) जीवन में संयम आना
ग) कारोबार में उन्नति होना
घ) आपके प्रति लोगों में स्नेह
Ans. क) उल्टी बात करना
(iv) समय का दुरुपयोग क्या है?
क) छात्रों पर अत्याचार
ख) परीक्षा लेना
ग) समय का सही उपयोग करना
घ) बेवजह परेशान करना
Ans. घ) बेवजह परेशान करना
(v) अध्यापक होने का दावा गलत क्यों है?
क) कक्षा में नहीं पढ़ाने से
ख) अपने को श्रेष्ठ कहने से
ग) तमीज नहीं होने से
घ) बच्चों से भी कम अक्ल होने से
Ans. घ) बच्चों से भी कम अक्ल होने से
8. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में दीजिए:
(i) डायरी का पन्ना पाठ से उद्धृत आज जो कुछ हुआ वह अपूर्व था। पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
Ans. “डायरी का पन्ना” पाठ में, “आज जो कुछ हुआ वह अपूर्व था” यह पंक्ति कहती है कि आज के दिन कुछ ऐसा हुआ जो बहुत ही अनोखा और यादगार था। यह घटना इतनी खास थी कि इसे डायरी में लिखने लायक समझा गया। यह पंक्ति लेखक की उस घटना से प्रसन्नता और उत्साह को दर्शाती है। यह पंक्ति हमें यह भी बताती है कि छोटी-छोटी घटनाएं भी हमारे जीवन को यादगार बना सकती हैं।
(ii) लेखक ने ‘टी-सेरेमनी में चायपान के समय क्या निर्णय लिया? पतझर में टूटी पट्टियाँ पाठ के सन्दर्भ में उत्तर दीजिए ।
Ans. लेखक ने ‘टी-सेरेमनी में चाय पीते समय यह निर्णय लिया कि अब वह कभी भी अतीत और भविष्य के बारे में नहीं सोचेगा। उसे लगा कि जो वर्तमान हमारे सामने है, वही सत्य है। भूत काल और भविष्यत काल दोनों ही मिथ्या हैं क्योंकि भूत काल चला गया है जो कभी नहीं आएगा और भविष्य अभी आया ही नहीं है, तो इन दोनों को छोड़कर हमें अपने वर्तमान काल में ही पूरा जीवन का आनंद लेना चाहिए और हमें इनके बारे में सोचकर अपना समय व्यतीत नहीं करना चाहिए। अतः इन दोनों के बारे में सोचना छोड़कर वर्तमान में जीना ही जीवन का वास्तविक आनन्द लेना है।
(iii) ‘कारतूस पाठ के आधार पर लिखिए कि जंगल में दूर से आते अनजान सैनिक को देखकर कर्नल और लेफ्टिनेंट ने क्या अनुमान लगाया?
Ans. पाठ के अनुसार जंगल में दूर से आते अनजान सवार को देखकर कर्नल और लेफ्टिनेंट ने यह अनुमान लगाया कि वह कोई वजीर अली को जानने वाला अथवा हमारा सैनिक होगा जो हमसे मिलकर उसे गिरफ्तार करवाना चाहता होगा। वजीर अली की गिरफ़्तारी के लिए वे इतने इक्षुक थे कि उन्होंने ये अनुमान लगाया।
(iv) शैलेन्द्र ने तीसरी कसम में किस प्रकार रेणु की मूल पट कथा को पूर्ण आकार प्रदान किया?
Ans. फिल्म ‘तीसरी कसम की मूल पटकथा फणीश्वरनाथ रेणु द्वारा लिखी गई थी। शैलेन्द्र ने इस फिल्म गीत-संगीत, कला, अभिनय आदि सभी गुणों से युक्त कर रेणु की मूल पटकथा को पूर्ण आकार दिया। उन्होंने मूल कथा में कोई परिवर्तन नहीं किया। यह एक अमर कृति थी। ऐसा लग रहा था कि कहानी का रेशा – रेशा और उसकी बारीकियाँ जैसे फिल्म में उतर आई हों।
खंड ग. काव्य खंड (पाठ्यपुस्तक)
9. अनुच्छेद को ध्यानपूर्वक पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
अनंत अंतरिक्ष में अनंत देव हैं खड़े,
समक्ष ही स्वबाहु जो बढ़ा रहे बड़े-बड़े ।
परस्परावलंब से उठो तथा बढ़ो सभी,
अभी अमर्त्य अंक में अपंक हो चढ़ो सभी ।
रहो न यों कि एक से न काम और का सरे,
वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे ।।
(i) अतंरिक्ष में कौन खड़े हैं?
क) सूर्य
ख) तारे
ग) नक्षत्र
घ) देवता
Ans. घ) देवता
(ii) अतंरिक्ष में खड़े देव अपनी बाहु क्यों बढ़ा रहे हैं?
क) स्वस्थता के लिए
ख) मदद के लिए
ग) मार्गदर्शन के लिए
घ) समृद्धि के लिए
Ans. ख) मदद के लिए
(iii) कवि मनुष्य को किस प्रकार रहने की सलाह देता है?
क) सहयोग की भावना से
ख) ईर्ष्या की भावना से
ग) हिंसा की भावना से
घ) असहयोग की भावना से
Ans. क) सहयोग की भावना से
(iv) परस्परावलंब का आशय है-
क) एक-दूसरे से घृणा करना
ख) एक-दूसरे का सहयोग लेना या देना
ग) एक-दूसरे से छल-कपट करना
घ) एक-दूसरे से शत्रुता करना
Ans. ख) एक-दूसरे का सहयोग लेना या देना
(v) आकाश में देवता क्यों खड़े हैं?
क) अन्याय करने के लिए
(ख) सब को देखने के लिए
ग) न्याय करने के लिए
घ) परोपकारी लोगों की प्रशंसा करने के लिए
Ans. घ) परोपकारी लोगों की प्रशंसा करने के लिए
10. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में दीजिए:
(i) मीरा ने कृष्ण से स्वयं के दुःख हरने का आग्रह क्यों किया है?
Ans. मीरा ने कृष्ण से स्वयं के दुःख हरने का आग्रह इसलिए किया है क्योंकि श्रीकृष्ण अपने भक्तों का कल्याण करते हैं। मीरा सांसारिक दुखों से दुखी हैं। उसे लगता है कि कृष्ण जिस प्रकार अपने भक्तों का दुख दूर करते हैं वैसे ही मेरा भी करेंगे क्योंकि वह भी श्रीकृष्ण की अनन्य भक्त हैं जो उनपर सबकुछ नोछावर करने के लिए तत्पर है। मीरा श्रीकृष्ण से अनन्य प्रेम करती हैं और उन्हें अपना सर्वस्व मानती हैं।
(ii) वर्षा ऋतु में पर्वतीय स्थल पर बादलों का खेल अद्भुत होता है। अपने पाठ्यक्रम की कविता के माध्यम से स्पष्ट कीजिए।
Ans. “वर्षा ऋतु में पर्वतीय स्थल पर बादलों का खेल अद्भुत होता है” यह वाक्य “मेघदूत” कविता से लिया गया है। इस कविता में कालिदास ने वर्षा ऋतु में पर्वतीय स्थल पर बादलों के अद्भुत खेल का वर्णन किया है। कविता के अनुसार बादल पर्वतों पर उमड़ते-घुमड़ते हैं और विभिन्न आकार ग्रहण करते हैं। वे कभी हाथी, कभी सिंह, कभी मयूर और कभी किसी अन्य रूप में दिखाई देते हैं। वे बिजली की चमक से जगमगाते हैं और गरजने की आवाज से पर्वतीय स्थल को गुंजायमान करते हैं। बादलों के बीच से झरने गिरते हैं और इंद्रधनुष बनता है। यह दृश्य अत्यंत मनमोहक होता है और दर्शक को मंत्रमुग्ध कर देता है।
(iii) ज़िन्दा रहने के मौसम बहुत हैं मगर जान देने की रुत रोज़ आती नहीं। पंक्ति के माध्यम से कवि देशवासियों को क्या संदेश देना चाहते हैं? स्पष्ट कीजिए।
Ans. ज़िन्दा रहने के मौसम बहुत हैं मगर जान देने की रुत रोज़ आती नहीं पंक्ति के माध्यम से कवि देशवासियों को देशभक्ति और बलिदान का संदेश देना चाहते हैं। कवि का कहना है कि जीवन जीने के लिए कई अवसर मिलते हैं, लेकिन देश के लिए जान देने का अवसर हर बार नहीं • मिलता। यह पंक्ति हमें याद दिलाती है कि देश के लिए बलिदान देना एक महान कार्य है और हमें इसे गर्व के साथ करना चाहिए। कवि देशवासियों से आह्वान करते हैं कि वे देश के प्रति समर्पित रहें और जब भी आवश्यकता हो, देश के लिए अपना सर्वस्व अर्पण करने के लिए तैयार रहें। इस पंक्ति का संदेश आज भी प्रासंगिक है, क्योंकि देश की रक्षा के लिए हमेशा वीरों की आवश्यकता होती है।
(iv) रवींद्रनाथ ठाकुर सुख के दिनों में क्या कामना करते हैं और क्यों?
Ans. रवीन्द्र नाथ ठाकुर सुख के दिनों में भी परमात्मा को हर पल श्रद्धा भाव से याद करना चाहता है। तथा हर पल उसके स्वरूप को पहचानना चाहता है। वह संसार के सामने नत मस्तक रहने की कामना करता है जिससे वह दूसरों पर परोपकार कर सके।
खंड ग – संचयन (पूरक पाठ्यपुस्तक)
11. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 50-60 शब्दों में दीजिए:
(i) वर्तमान समाज में पारिवारिक संबंधों का क्या महत्त्व है? हरिहर काका कहानी में यह सच्चाई कैसे उजागर होती है?
Ans. पारिवारिक संबंध अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। ये हमें परिवार, समाज, राष्ट्र से जोड़ते हैं। रिश्तों के अभाव में परिवार, समाज और राष्ट्र जैसी संस्थाओं की कल्पना भी नहीं की जा सकती। रिश्तों में ही व्यक्ति को संतुष्टि, सुख, आनंद प्राप्त होता है। रिश्तों के अभाव में तो व्यक्ति एकाकी होकर जीवन से दूर हो जाते हैं। आधुनिक परिवर्तित समाज तथा रिश्तों में बदलाव आ रहा है। परिवार और रिश्ते दोनों ही अपनी भूमिका छोड़ रहे हैं। उनमें स्वार्थ लोलुपता आती जा रही है। कथावस्तु के आधार पर हरिहर काका एक वृद्ध निःसंतान व्यक्ति हैं, वैसे उनका भरा-पूरा संयुक्त परिवार है। परिवार को हरिहर काका की चिन्ता नहीं है। परिवार के सदस्यों को जब लगता है काका कहीं अपनी जमीन महंत के नाम न कर दें तब वे उनकी सेवा करने लगते हैं, परन्तु बाद में अपनी स्वार्थसिद्धि पूर्ण न होती देख वे काका के साथ क्रूरतापूर्ण अमानवीय व्यवहार करते हैं, परन्तु महन्त के सहयोग से पुलिस वहाँ आकर काका की रक्षा करती है। पारिवारिक संबंधों में भ्रातृभाव को बेदखल कर पाँव पसारती जा रही स्वार्थलिप्सा, हिंसावृत्ति का रूप ले रही है जिससे समाज में रिश्तों में दूरियाँ और विघटन उत्पन्न हो रहा है।
(ii) सपनों के से दिन पाठ में पीटी सर की किन चारित्रिक विशेषताओं का उल्लेख किया गया है? वर्तमान शिक्षा व्यवस्था में स्वीकृत मान्यताओं और पाठ में वर्णित युक्तियों के सम्बन्ध में अपने विचार जीवन मूल्यों की दृष्टि से व्यक्त कीजिए।
Ans. पी. टी. सर की चारित्रिक विशेषताएँ :
i. रौबदार व्यक्तित्व – पी. टी. सर का व्यक्तित्व बहुत रौबदार था। वे स्कूल के समय में कभी भी मुस्कुराते नहीं थे। माता के दागों से भरा चेहरा तथा बाज-सी तेज आँखें, खाकी वर्दी, चमड़े के चौड़े पंजों वाले बूट, सभी कुछ रौबदार व भयभीत करने वाला था।
ii. कठोर अनुशासन प्रिय – पी.टी. मास्टर बहुत कठोर थे। वह छात्रों को अनुशासन में लाने के लिए बहुत कठोर और क्रूर दण्ड दिया करते थे। छात्रों को घुड़की देना, ठुडे मारना, उन पर बाज की तरह झपटना, उनकी खाल खींचना उनके लिए बाएँ हाथ का खेल था।
iii. स्वाभिमानी – पी.टी. मास्टर का सिद्धांत है कि लड़कों को डाँट-डपट कर रखा जाए। इसलिए चौथी कक्षा के बच्चों को मुर्गा बनाकर कष्ट देना उन्हें अनुचित नहीं लगता। अतः जब हैडमास्टर उन्हें कठोर दण्ड देने पर मुअत्तल कर देते हैं तो वह गिड़गिड़ाने नहीं जाते।
iv. बाहर से कठोर किन्तु कोमल हृदय – पी. टी. सर बाहर से कठोर किन्तु हृदय से कोमल थे। उन्होंने घर में तोते पाल रखे थे। जब उनको स्कूल से मुअत्तल किया गया, तब वे अपने तोतों से बात करते व उन्हें भीगे हुए बादाम खिलाते थे। स्काउट परेड अच्छी करने पर छात्रों को शाबाशी भी देते थे।
मेरे विचार से, शारीरिक दंड पर रोक लगाना बहुत आवश्यक कदम है। वर्तमान शिक्षा व्यवस्था में शारीरिक दंड को स्वीकृत मान्यता नहीं है। शिक्षकों को छात्रों को पीटने का अधिकार नहीं है। बच्चों को विद्यालय में शारीरिक दंड से नहीं अपितु मानसिक संस्कार द्वारा अनुशासित करना चाहिए। इसके लिए पुरस्कार, प्रशंसा, निंदा आदि उपाय अधिक ठीक रहते हैं, क्योंकि शारीरिक दण्ड के भय से बच्चा कभी भी अपनी समस्या अपने शिक्षक के समक्ष नहीं रख पाता है। उसे सदैव यही भय सताता रहता है कि यदि वह अपने अध्यापक को अपनी समस्या बताएगा, तो उसके अध्यापक उसकी कहीं पिटाई न कर दें जिसके कारण वह बच्चा दब्बू किस्म का बन जाता है। इसके स्थान पर यदि उसे स्नेह से समझाया जाएगा, तो वह सदैव अनुशासित रहेगा और ठीक से पढ़ाई भी करेगा।
(iii) आप एक समृद्ध परिवार से हैं लेकिन आपका मित्र बहुत ग़रीब है। उससे दोस्ती निभाते समय आप कौन-सी सावधानियाँ बरतेंगे और क्यों? टोपी शुक्ला पाठ के संदर्भ में लिखिए।
Ans. हम एक समृद्ध परिवार से हैं और हमारा मित्र गरीब परिवार से है तो हम ये ध्यान रखेंगे कि जाने-
अनजाने हमसे कोई भी ऐसा व्यवहार न हो जिससे उसे ठेस पहुँचे। हम उसके सामने अपने पैसों और रुतबे का दिखावा नहीं करेंगे और सामान्य व्यक्ति के समान ही व्यवहार करेंगे। हम अपने परिवारजनों से भी कह देंगे कि कोई भी उसके सामने अमीर होने का दिखावा नहीं करें।
12. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर लगभग 120 शब्दों में अनुच्छेद लिखिये:
(i) प्रकृति से लगाव विषय पर दिए गए संकेत बिंदुओं के आधार पर अनुच्छेद लिखिए। संकेत- बिंदु
■ आवश्यकता
■ प्राकृतिक आपदाओं से बचने के लिए जरूरी
■ तालमेल जरूरी
Ans. प्रकृति से हमारा लगाव जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक है। प्रकृति हमें भोजन, पानी और ऑक्सीजन जैसी मूलभूत जरूरतें प्रदान करती है। पेड़-पौधे हमारे पर्यावरण को शुद्ध करते हैं और हमें स्वच्छ हवा देते हैं।
प्रकृति से हमारा लगाव हमें प्राकृतिक आपदाओं से बचाने में भी मदद करता है। पेड़-पौधे मिट्टी बांधकर रखते हैं और बाढ़ जैसी आपदाओं से बचाते हैं। वन हमें बारिश लाने में भी मदद करते हैं।
आजकल, प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन के कारण प्रकृति खतरे में है। हमें प्रकृति के साथ तालमेल बिठाकर रहना चाहिए। हमें पेड़ लगाने चाहिए, पानी का संरक्षण करना चाहिए और प्रदूषण को कम करना चाहिए। अगर हमने प्रकृति को बचाने के लिए समय रहते कदम नहीं उठाए तो आने वाली पीढ़ियों को इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे।
(ii) महिला सशक्तीकरण विषय पर दिए गए संकेत बिंदुओं के आधार पर अनुच्छेद लिखिए। संकेत- बिंदु
■ आवश्यकता
■ समाज में बदलाव
■ देश का विकास
Ans. महिला सशक्तीकरण आज की सामाजिक और आर्थिक विकास की महत्वपूर्ण कुंजी है। समाज में महिलाओं की भूमिका और स्थिति को सुधारना अत्यंत आवश्यक है क्योंकि यह न केवल उनके व्यक्तिगत विकास को सुनिश्चित करता है, बल्कि समग्र समाज को भी लाभ पहुंचाता है। जब महिलाओं को समान अवसर और अधिकार प्राप्त होते हैं, तो वे अपनी क्षमताओं को पूरी तरह से विकसित कर सकती हैं, जो समाज में सकारात्मक बदलाव लाती है।
महिलाओं के सशक्तीकरण से समाज में एक स्वस्थ और संतुलित विकास की दिशा प्राप्त होती है। जब महिलाएं शिक्षा, स्वास्थ्य, और रोजगार के क्षेत्र में सक्रिय भूमिका निभाती हैं, तो इससे सामाजिक संरचना में सकारात्मक बदलाव आता है। महिलाएं केवल परिवार ही नहीं, बल्कि पूरे समाज के विकास में महत्वपूर्ण योगदान करती हैं। उनके सशक्तिकरण से समाज में लैंगिक असमानता समाप्त होती है और एक समान अवसरों का वातावरण बनता है।
देश का विकास भी महिला सशक्तीकरण से सीधा जुड़ा हुआ है। जब महिलाएं आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्रों में सक्रिय होती हैं, तो देश की कुल उत्पादकता और विकास दर सुधार होता है। महिलाओं की भागीदारी से रोजगार सृजन और आर्थिक वृद्धि में तेजी आती है, जिससे देश की समृद्धि में योगदान मिलता है। इसके अतिरिक्त, जब महिलाएं सशक्त होती हैं, तो वे अपने परिवार और समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को बेहतर ढंग से निभाती हैं, जिससे समाज का समग्र विकास सुनिश्चित होता है।
इस प्रकार, महिला सशक्तीकरण केवल व्यक्तिगत लाभ का मामला नहीं है, बल्कि यह समाज और देश के व्यापक विकास के लिए अनिवार्य है। समाज में महिलाओं के अधिकारों और अवसरों की समानता से ही एक समृद्ध, सशक्त और प्रगतिशील राष्ट्र का निर्माण संभव है।
(iii) दूरदर्शन विषय पर लगभग 80 से 100 शब्दो में अनुच्छेद लिखिए।
Ans. वर्तमान समय में दूरदर्शन की लोकप्रियता चरम सीमा पर है। अब तो इसकी घुसपैठ लगभग प्रत्येक परिवार में हो चुकी है। शहरों के साथ-साथ इसके कार्यक्रम गाँवों में भी अत्यंत रुचि के साथ देखे जाते हैं। इतने लोकप्रिय माध्यम का हमारे जीवन पर प्रभाव पड़ना अत्यंत स्वाभाविक ही है।
दूरदर्शन का प्रभाव निरंतर बढ़ता जा रहा है। इसने हमारे पारिवारिक जीवन पर अच्छे और बुरे दोनों प्रकार के प्रभाव डाले हैं। इससे हमारे मनोरंजन का पक्ष अत्यंत सुदृढ़ हुआ है। दूरदर्शन पर अनेक प्रकार के रोचक कार्यक्रम प्रस्तुत किए जा रहे हैं। इनमें अपनी रुचि के कार्यक्रम चुनकर हम अपना मनोरंजन कर सकते हैं। फीचर फिल्मों के अतिरिक्त टेली फिल्में, धारावाहिक, चित्रहार, संगीत, नाटक, कवि सम्मेलन, खेल-जगत से हमारा पर्याप्त मनोरंजन होता है। दूरदर्शन शिक्षा का भी सशक्त माध्यम बन गया है। इस पर औपचारिक और अनौपचारिक दोनों प्रकार की शिक्षा दी जा रही है। इसके अतिरिक्त किसानों के लिए कृषि-दूरदर्शन, अनपढ़ों के लिए साक्षरता के कार्यक्रम, महिलाओं के लिए घरेलू उपयोगी कार्यक्रम प्रसारित किए जाते हैं। इस प्रकार घर बैठे ही सभी को ज्ञानवर्धक कार्यक्रम देखने को मिल जाते हैं। दूरदर्शन की सामग्री अधिक ग्राह्य एवं स्पष्ट प्रभाव डालने वाली होती है। इसका प्रभाव अधिक व्यापक होता है। अतः इस बारे में अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है।
दूरदर्शन ने हमारे जीवन पर अनेक बुरे प्रभाव भी डाले हैं। दूरदर्शन ने हमारे अंदर अकर्मण्यता ला दी है। लोग सामाजिक जीवन से कटते चले जा रहे हैं। अनेक व्यसन भी दूरदर्शन की देन हैं। आज दूरदर्शन मनोरंजन का पर्याय बन गया है। दूरदर्शन पर विविध प्रकार के मनोरंजक कार्यक्रम प्रस्तुत किए जा रहे हैं। यह सभी आयु वर्ग के व्यक्तियों के लिए उनकी रुचि के अनुसार होता है। दूरदर्शन पर खेलों का सीधा प्रसारण होता है, जिससे खेलों को लोकप्रिय बनाया जा सका है।
13. आपकी परीक्षाएँ निकट हैं। आपके मोहल्ले के धार्मिक स्थल पर लाउडस्पीकर बजता रहता है जिससे तैयारी में बाधा पहुँच रही है। इस ओर ध्यान दिलाते हुए दैनिक समाचार पत्र के संपादक को पत्र लिखिए।
Ans.

अथवा
स्वच्छ भारत-स्वस्थ भारत अभियान का आपके आस-पड़ोस में क्या प्रभाव दिखाई देता है? उसकी अच्छाइयों और सीमाओं की चर्चा करते हुए किसी समाचार पत्र के संपादक को पत्र लिखिए।
Ans.

14. आपकी सोसायटी में आगामी माह के अंतिम सप्ताह में निःशुल्क स्वास्थ्य जाँच शिविर का आयोजन किया जा रहा है। सोसायटी सचिव की ओर से इस जानकारी को लोगों तक पहुँचाने के लिए लगभग 80 शब्दों में एक सूचना तैयार कीजिए ।
Ans.

अथवा
विद्यालय में साहित्यिक क्लब के सचिव के रूप में प्राचीर पत्रिका के लिए लेख, कविता, निबंध आदि विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत करने हेतु सूचना पट्ट के लिए एक सूचना लिखिए ।
Ans.

15. ज्वैलरी शॉप के लिए एक विज्ञापन लगभग 25-50 शब्दों में बनाइए ।
Ans.

अथवा
सार्वजनिक रूप से आयोजित दावतों में अन्न की बरबादी के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए अन्नदान महादान विषय पर लगभग 40 शब्दों में एक आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए ।
Ans.

16. आप रूपाली / मयंक हैं। ई-मेल द्वारा बैंक प्रबंधक को अपनी पास बुक खोने की सूचना लगभग 80 शब्दों में दीजिए।
Ans.

अथवा
जैसी करनी वैसी भरनी विषय पर लगभग 100-120 शब्दों में एक लघुकथा लिखिए।
Ans.
जैसी करनी वैसी भरनीये उस समय की बात है जब मैं आठवीं कक्षा में पढ़ता था । मैं औसत वाला लड़का था। मेरी कक्षा में एक और लड़का था, जो पूरे स्कूल में अव्वल आता था। सारे शिक्षक भी उसकी तारीफ करते रहते थे। उसके प्रति मेरे मन में ईर्ष्या की भावना रहती थी। मैं ऐसे मौके की तलाश में रहता था, जब मैं उसे नीचा दिखा सकूँ। बहुत जल्द ही वो मौका मेरे सामने आ गया। हमारे स्कूल में एक परीक्षा का आयोजन हुआ, इसमें उत्तीर्ण होने वालों को सम्मानित किया जाता और आगे की पढ़ाई के लिए छात्रवृति मिलने वाली थी। मेरी चालाकी से उसके पास से नकल करने का कुछ सामान हमारे शिक्षक को मिल गया और उसे परीक्षा से बर्खास्त कर दिया गया। वहाँ पर तो मैं उत्तीर्ण हो गया, लेकिन बहुत जल्द ही मुझे अपनी गलती का एहसास हुआ। जब आगे की परीक्षा में मैं उत्तीर्ण नहीं हो पाया और मुझे उससे बाहर कर दिया गया। तब मुझे ये समझ में आ गया कि हम दूसरों के साथ जैसा करते हैं, हमारे साथ भी वैसा ही होता है।